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रुद्रपुर -: पूर्व पार्षद ने 500 करोड़ रुपए की कीमती भूमि घोटाले का किया खुलासा अफसरों से लेकर सत्ता पक्ष के नेता पर षड्यंत्र करने का आरोप नहीं हुई कार्यवाही तो जायेंगे न्यायलय की शरण

खबर संवाद सलोनी -: रुद्रपुर मुख्यमंत्री के गृह जनपद मुख्यालय रुद्रपुर में स्थित 4.07 एकड़ मछली तालाब की सरकारी भूमि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने जा रही है यह आरोप प्रेसवार्ता कर शहर के रहे पूर्व पार्षद ने कही। यह सरकारी भूमि किच्छा बाईपास रोड, रुद्रपुर में स्थित झील के सामने रोडवेज के नज़दीक, राजस्व ग्राम लमरा, खसरा संख्या 02 के मध्य स्थित है, जो रोड से लगभग 25 से 30 फीट गहरी है जो वैगुल नदी की जद में आती है। यह भूमि गड्ढेनुमा एवं जलमग्न होने के कारण मछली पालन के लिए तत्कालीन नगर पालिका रुद्रपुर द्वारा वर्ष 1988 में समाचार पत्र के माध्यम से नीलाम के लिए खुली टेडर मांगे थे। नीलामी में पाँच लोगों ने मिलकर संयुक्त रूप से 3,07,000 (तीन लाख सात हजार रुपये) की उच्चतम बोली लगाई। तत्पश्चात बोलीदाताओं द्वारा नीलामी की शर्तों के क्रम में धनराशि को नगर पालिका रुद्रपुर में जमा करा दिया गया। प्रस्ताव स्वीकृति हेतु जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से शासन को प्रेषित किया गया था। शासन द्वारा तत्कालीन जिलाधिकारी, ऊधमसिंहनगर को सूचित किया गया कि उक्त भूखंड मछली पालन हेतु केवल 2 वर्षों के लिए ही दिया जा सकता है। यदि नगर पालिका अथवा बोलीदाता दो वर्षों के लिए उक्त भूमि लेना चाहते हैं, तो 15 दिवस के भीतर अग्रिम कार्रवाई सुनिश्चित करें। किन्तु बोलीदाताओं द्वारा उक्त पत्र के क्रम में कोई सहमति नहीं दी गई। पूर्व पार्षद राम बाबू ने प्रेसवार्ता में बताया शासन स्तर पर पट्टे की स्वीकृति हुई ही नहीं, तो उनका कब्जा कैसे वैध मान लिया गया। नीलामी की शर्त क्रमांक 8 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि लीज की कार्यवाही पूर्ण होने के उपरांत ही पट्टेदार को प्लॉट का कब्जा दिया जाएगा। इसके बावजूद महेंद्र छाबड़ा, जो उक्त नीलामी में 20 प्रतिशत का हिस्सेदार था, उसने वर्ष 2005 में नीलामी के 17 वर्ष बाद अपने अन्य चार साझेदारों से अपने पक्ष में शपथपत्र लेकर तत्कालीन सचिव, आवास विभाग पी.सी. शर्मा से मिलीभगत कर उक्त भूमि को अपने एंव अपने दो भाइयों और पिता के नाम पर फ्रीहोल्ड करवा लिया। बाकी चार लोगों को किनारे कर दिया। इसके लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत देकर निम्न तीन असंवैधानिक शासनादेश जारी कराए गए। शासनादेशों के आधार पर 19 वर्ष बाद वर्ष 2007 में, 2000 (दो हजार) के सर्किल रेट पर अवैध रूप से उक्त भूमि फ्रीहोल्ड कर दी गई। सचिव द्वारा समस्त नियमों की अनदेखी कर तत्कालीन जिलाधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी पर अनुचित दबाव बनाकर फ्री-होल्ड की प्रक्रिया पूरी कर दी गई। उन्होने बताया नियमों की अनदेखी कर असंवैधानिक शासनादेशो के आधार पर नियम विरुद्ध फ्री-होल्ड की गई, उक्त मछली तालाब की भूमि के विरुद्ध अमित नारंग सहित प्रार्थी द्वारा जिलाधिकारी महोदय सहित शासन के उच्च अधिकारियों के समक्ष अनेको लिखित शिकायती पत्र प्रेषित किये गए, तथा नगर निगम रुद्रपुर द्वारा, गायब की गई मूल पत्रावली, के सम्बंध में भी शासन को अवगत कराया गया। जिसके उपरान्त शासन द्बारा जन शिकायतो का संज्ञान लेकर, तत्कालीन ईमानदार जिलाधिकारी जुगल किशोर पंत की निगरानी में अपर जिलाधिकारी (नजूल) जय भारत सिंह के माध्यम से जांच कराई गई। जांच निष्कर्ष के क्रम में तत्कालीन जिलाधिकारी महोदय द्वारा अपर जिलाधिकारी (नजूल) के पत्र संख्या- 9711 के माध्यम से जॉच आख्या के अनुसार अवगत कराया गया कि आवेदक द्वारा तथ्यों को छुपाकर फ्रीहोल्ड कराया गया भूखण्ड नियम विरुद्ध किया गया है। इस फ्रीहोल्ड को निरस्त किए जाने, के सम्बंध में, जांच रिपोर्ट शासन को संस्तुति सहित अग्रिम कार्रवाई हेतु प्रेषित की गई। लेकिन जांच रिपोर्ट के आधार पर फ्रीहोल्ड विलेख निरस्त करने की कार्यवाही सुनिश्चित करने की बजाय शासन के अपर सचिव द्वारा निजी स्वार्थों की पूर्ति कर मामला पुनः जांच हेतु वापस निवर्तमान जिलाधिकारी श्री उदयराज सिंह को भेज दिया। उन्होने आरोप लगाया कि आरोपियों ने मौजूदा सरकार के एक प्रभावशाली नेता के साथ साठगांठ कर जिलाधिकारी उदयराज सिंह को भारी रिश्वत देकर मामला अपने पक्ष में करवा कर, एक ही दिन में पूरी कार्यवाही निपटा दी गई। इसकी पुष्टि पत्रों के अवलोकन से स्पष्ट है। जिलाधिकारी उदयराज सिंह ने उसी दिन पिछली जांच को समाप्त कर आवेदकों और सम्बन्धित विभागीय अनापत्ति दे दी गई, तथा मछली तालाब की जमीन पर मॉल निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृति की रोक हटाकर, अनुमोदन जारी कर दिया गया। यह पूरी कार्रवाई एक ही दिन में पूरी कर ली गई, है जो भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को दर्शाती है। राम बाबू ने कहा इस भूमि घोटाले में मौजूदा सरकार का एक प्रभावशाली नेता और शबाना इंफ्रास्ट्रक्चर नामक बिल्डर शामिल हैं। जहाँ लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत का विशाल मॉल बनाने जा रहे है। जिसे कंप्लीट करने के बाद बिल्डर के द्वारा इस प्रोजेक्ट को लगभग 1500 सौ, करोड रुपयो, की कीमत में बेचा जाएगा। जिसके हिस्से बटवारों को लेकर भू-माफिया बिल्डर और नेताजी के खास चहिते उद्योगपति के मध्य एक रजि एग्रीमेंट करवाया गया है। जिस मे प्रश्नगत भूखण्ड जिन लोगों के नाम से फ्रीहोल्ड हुआ है। वह 36 प्रतिशत के हिस्सेदार रहेंगे तथा नेताजी के खास उद्योगपति 7 प्रतिशत के तथा बाकी प्रतिशत का हिस्सेदार बिल्डर रहेगा। प्रोजेक्ट परवान चढ़ने के बाद नेताजी ने पहले ही अपने व अपने आकाओ के हिस्से की प्रश्नगत उक्त भूखण्ड मे से 2739.00 वर्ग भीटर भूमि बिना किसी भुगतान के अपने चहिते उद्योगपति के नाम पर रजिस्ट्रारी करवा कर सुरक्षित कर ली, जिस पर आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगने के बावजूद भी नगर निगम रुद्रपुर द्वारा, दाखिल खारिज कर दिया गया। जबकि नगर निगम ने खुद ही लिखित में दे रखा है की प्रश्नगत भूखण्ड कि मूल पत्रावली नगर निगम कार्यालय मे धारित नही है, तव उक्त भूखण्ड के 2739 वर्ग मीटर भाग का दाखिल खारिज कैसे और किस आधार पर कर दिया गया। यह नगर निगम के इस भूमि घोटाले में संलिप्त अधि/कर्मचारीयो की कार्य प्रणाली पर एक गंभीर सवालिया निशान खड़े करता है। पूर्व पार्षद ने बताया वह मुख्यमंत्री महोदय का ध्यान रुद्रपुर शहर में हुए इस भूमि घोटाले की ओर आकर्षित करना चाहते है। इस भूमि घोटाले की सीबीआई जांच करवा कर सभी दोषी नेता, भ्रष्ट अधिकारीयो एवं बिल्डर वर्ग के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए। अन्यथा न्याय के लिए मजबूरन वो माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेने हेतु विवश होना पड़ेगा।

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