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  • *पुण्य के नाम पर बड़ा पाप करोड़ों लोंगों की आस्था का केन्द्र बना भ्रष्टाचार का अड्डा प्रशासन और ठेकेदारों के गठजोड़ से हुआ लाखो का घोटाला* *माता अटरिया मेला*

*पुण्य के नाम पर बड़ा पाप करोड़ों लोंगों की आस्था का केन्द्र बना भ्रष्टाचार का अड्डा प्रशासन और ठेकेदारों के गठजोड़ से हुआ लाखो का घोटाला* *माता अटरिया मेला*

रूद्रपुर। ऐतिहासिक अटरिया मंदिर में लगने वाला वार्षिक मेला भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है। ठेकेदारों और प्रशासन के गठजोड़ ने सरकारी खजाने को करीब 22 लाख का चूना लगा दिया और जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं पिछले दो सालों में जिस मेले का ठेका करीब 27 लाख में हुआ था वही ठेका इस बार सैटिंग गैटिंग के चलते मात्र करीब 5 लाख में छूटा है। यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। मामले में आरटी आई कार्यकर्ता राम बाबू ने जिलाधिकारी के साथ ही मुख्यमंत्री समेत कई उच्चाधिकारियों से शिकायत करते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

बता दें जगतपुरा स्थित ऐतिहासिक अटरिया मंदिर में हर साल मेला लगता है, जिसमें जनपद ही नहीं बल्कि दूर दराज से भी हजारों श्रद्धालु मां अटरिया देवी के दर्शन के लिए आते हैं। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र इस मंदिर में लगने वाले मेले को कुछ लोगों ने भ्रष्टाचार का बढ़ बना लिया है। पिछले कई सालों से हर साल मेले के नाम पर खेला होता आ रहा है। इस बार तो सारी हदें पार हो गयी है। जिला प्रशासन की नाक के नीचे मंदिर प्रबंधन, ठेकेदारों और प्रशासन के गठजोड़ से सरकारी खजाने को करीब 22 लाख का चूना लगाया गया है। इस साल मेले के लिए 05 अप्रैल 2025 से 28 अप्रैल 2025 तक की अवधि निर्धारित की गयी है। कुछ दिन पहले प्रशासन ने मेले के आयोजन के लिए टेंडर जारी किया था दरअसल मंदिर के सामने लगभग एक एकड़ सरकारी भूमि है, जहाँ वर्षों से मेले का आयोजित होता आ रहा है। इस भूमि से होने वाली आय को मेला कमेटी एवं मंदिर कमेटी के लोग पिछले कई सालों से आपसी मिलीभगत से हड़पते आ रहे थे। वर्ष 2023 में इस मामले में जागरूक लोगों ने जब शिकायत की तो तत्कालीन जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मेले को प्रशासन के नियंत्रण में लगाने की व्यवस्था बनाई जिसके परिणामस्वरूप पहली बार अटरिया मेले की नीलामी 26 लाख 20 हजार रुपये में छूटी इसके बाद वर्ष 2024 में मंदिर कमेटी और मेला कमेटी ने फिर से गुपचुप तरीक से बिना नीलामी के ही मेले का संचालन शुरू कर दिया जब प्रशासन के संज्ञान में मामला आया तो उप जिलाधिकारी के निर्देशन में तहसीलदार ने मंदिर एवं मेला कमेटी से 27 लाख 20 हजार रुपये वसूल किये पिछले दो सालों में मेले से सरकार को लाखों का राजस्व मिला लेकिन इस बार मंदिर और मेला कमेटी ने प्रशासन से सांठ गांठ करके फिर बड़ा खेल कर दिया। मंदिर एवं मेला कमेटी के पदाधिकारियों ने राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से मिलीभगत कर नीलामी की वास्तविक धनराशि को बढ़ाने के बजाय इसे मात्र 5 लाख 25 हजार रुपये में स्वीकृत करवा दिया, जिससे सरकार को करीब 22 लाख रुपये से अधिक की राजस्व हानि हुई है। सरकारी खजाने में की गयी यह लूट जिला मुख्यालय पर बैठे आला अधिकारियों की नाक के नीचे हुई लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी।

मामले में आरटीआई व समाजिक कार्यकर्ता रामबाबू ने जिलाधिकारी सहित मुख्यमंत्री एवं अन्य उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायत देकर मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि मेले के लिए जो नीलामी सूचना निकाली गयी वो किसी भी राष्ट्रीय समाचार पत्र में प्रकाशित नहीं की गयी, जिससे नीलामी की सूचना अधिक लोगों तक नहीं पहुंच पायी और कुछ गिने चुने ठेकेदारों ने आपस में सांठ गांठ करके टेंडर भर दिये परिणाम स्वरूप मात्र 5 लाख 25 हजार रुपये में नीलामी स्वीकृत हो गयी रामबाबू का आरोप है कि यह भ्रष्टाचार का एक सुनियोजित षड्यंत्र है, जिसमें संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता रामबाबू ने मामले की उच्च स्तरीय जांच करने एवं सरकारी संपत्ति को निजी स्वार्थों के लिए लूटने वाले भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही पूर्व की भांति संपूर्ण नीलामी धनराशि संबंधित मेला एवं मंदिर कमेटी से वसूली करने की मांग की है। किसी भी धार्मिक मामले में ऐसा घोटाला बहुत ही निंदनीय है !

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